खिड़की खोले सूरज दादा देख रहे बादल को। खिड़की खोले सूरज दादा देख रहे बादल को।
वसंत ऋतु राजा कहलाये, मंद मंद यूं चली हवाएँ! वसंत ऋतु राजा कहलाये, मंद मंद यूं चली हवाएँ!
चल रहे सम्बन्ध पर क्यों भुनभुनाएँ ? है यही बेहतर नया रिश्ता बनाएँ। चल रहे सम्बन्ध पर क्यों भुनभुनाएँ ? है यही बेहतर नया रिश्ता बनाएँ।
आने को बरसात, विरहनी भरा मन उमंग। आने को बरसात, विरहनी भरा मन उमंग।
उठो लाल! और नहीं स्वप्न की बारी अब, बीती रात कमल दल फूले........ उठो लाल! और नहीं स्वप्न की बारी अब, बीती रात कमल दल फूले........